Monday 14 November 2016

जन्म एवं मृत्यु

जन्म एवं मृत्यु
एक आदि तो दूजा अंत
दो सिरे हैं जीवन के
और जीवन
इन दोनों बिन्दुओं के बीच डगर
हम पथिक हैं, चलते हैं, गिरते और संभलते हैं
रुक कर विश्राम कर लेना
इस डगर का नियम नहीं है
निरंतर चलना है गंतव्य की ओर
और इस राह को दिशा देना 

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